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होली नं0 - 38 (सारी मथुरा फूलों से छाय रही)

होली नं0 - 38 1 - सारी मथुरा फूलों से छाय रही  सारी मथुरा . . . . .  2 - पूरब झरोखे विष्णु जी बैठे ,  लक्ष्मी झूला झूल रही - सारी मथुरा . .  3 पश्चिम झरोखे में ब्रहमा जी बैठे , गौरा झूलन झूल रही - सारी मथुरा . . . . .  4-दक्षिण झरोखे में कृष्णा जी बैठे ,  राधा झूलन झूल रही - सारी मथुरा . . . . . . . . . .  5 उत्तर झरोखे में राम जी बैठे ,  सीता झूलन झूल रही - सारीमथुरा . . . . . . . . . .  सारी मथुरा फूलों से छाय रही , - 31

होली नं0 - 37 ( लागी गयो है बाण रानी)

होली नं0 - 37  1- लागी गयो है बाण रानी  दशरथ मछली छेदन में  2-एक समय सुन रानी सयानी ,  मृगया की मन ठानी रानी - दशरथ मछली . . .  3- वन में जाय सरोवर देखा ,  बैठ किनारे जाय रानी - दशरथ मछली  4- ताही समय श्रवण वहां पहुचे ,   लेने निरमल नीर रानी - दशरथ मछली . . .  5 - घड़ा डुबाया ज्यों ही जल में ,  शब्द घड़े का होय रानी - दशरथ मछली . . .  6 - मृग आना जाना मन में ,  खीच के मारा बाण रानी - दशरथ मछली . . . 7 - श्रवणा कुंवर को बाण लगो है ,  हा - हा शब्द सुनाय रानी - दशरथ मछली . . .  8 - ताही समय श्रवण वहाँ पहुचें ,  पूछा सारा हाल रानी - दशरथ मछली . . . .  9 - मातु पिता का एक सहारा ,  लेने आया नीर रानी - दशरथ मछली . . .  10 - जा के कहियो मातु पिता से ,  श्रवण मरी यो जाय रानी - दशरथ मछली . . .  11 - पानी ले के दशरथ पहुचे ,  बोले सारा हाल रानी - दशरथ मछली . . .  12 - पुत्र वियोग में हम मरते हैं , सो दुख व्यापै तोही रानी - दशरथ मछली . . .  13 - पुष्प विमान में तीनो बैठे ,  सीधे स्वर्ग को जाय रानी - दशरथ मछली . . .

होली नं0 - 36 (हाँ जी उधो करमन की गति न्यारी है)

होली नं0 - 36  1- हाँ जी उधो करमन की गति न्यारी है ,  करमन करत पुकार ऊधो करमन की गति . . . ।  2 - हाँ जी ऊधो एक राजा के दो - दो कुवर थे ,  दो राजा दो योगी - ऊधो करमन . . .  3-हाँ जी ऊधो मुर्ख राजा ने राज कियो है ,  पण्डित भयो है भिखारी - ऊधो करमन . . . . . . .  4-हाँ जी ऊधो कहिये संन्देश श्याम सुन्दर से ,  तुम हो दीन दयाल - ऊधो करमन . . . . . . .  5-हाँ जी ऊधो गर्बन को तुम शेर वनो है ,  दुखियन को माई बाप - ऊधो करमन . . . . . . . 

होली नं0 - 35 (गिरीधर राज लियो कंसासुर को मथुरा)

होली नं0 - 35  1- अच्छ हाँरे गिरीधर राज लियो कंसासुर को  मथुरा पड़ गई भीड़ गिरीधर राज कियो कंसासुर को  2-हरी मथुरा में जन्म लियो , गोकुल दे पहुंचाय ,  गिरीधर खुले किवाड़े चौकड़ के सोवे  यशोदा लाल गिरीधर राज . . . . . . . . . .  3- घुगरू लगाये पैरन में , गैय्यन पिछै जाय गिरीधर  वन में जाय बिहार करे , सब ग्वालन के साथ ,  गिरीधर राज लियो कंसासुर  4- इधर उधर उतपात करे सब लड़कन के साथ गिरीधर बैठ पटक मटकिया फोड़ी , दही माखन को खाय - गिरीधर राज लियो . . . 5- एक कुवारी छूट पड़ी , पहुची यशोदा पास गिरीधर कुवर तुम्हारो दुष्ट बड़ो सब से करे विचपात  गिरीधर राज लियो . . . . . .  6-रस्सी ले के यशोदा गई आप खड़े भगवान गिरीधर रस्सी बांधी ऊदर में भयो दामोदर नाम गिरीधर राज लियो . . 7- कंश पठाय विदुश्य कियो वृन्दावन को जाय गिरीधर कुशल रहे तो कान्हा की रैन गये विशराय  गिरीधर राज लियो . . . . . . . . . . .  8-वृन्दावन में रास रचो , मारी बन्शी की तान गिरीधर राधा जी के कान पड़ी कागी बिरह की आग  गिरीधर राज लियो . . . . . . .  9 - सौ मन मदिरा मांग पियो द्वार खड़े गजराज गिरीधर  भुजा चली वल भट्टै की हस्ती छोडे चिग

होली नं0 - 34 (धरती जो बनी है अमर कोई धरती जो बनी है अमर कोई)

होली नं0 - 34  1- धरती जो बनी है अमर कोई  धरती जो बनी है अमर कोई 2-नौ लख तारे गगन विराजै , सूरजा चले चन्दा दोई - धरती 3 - नौ लाख गंगा भू में विराजे ,  यमुना बहै गंगा दोई - धरती  4-नौ लख योद्धा जग में विराजै  राम भये लछिमन दोई - धरती  5-नौ लख देवी जग में विराजै ,  काली भई लक्ष्मी दोई - धरती  6-नौ लख तपस्वी जग में विराजै ,  ध्रुव भये श्रवणा दोई - धरती 

होली नं0 - 33 (कठिन शंकर चाप कैसे तौडत है , सुन्दर कोमल गात ये दोनो भाई है)

होली नं0 - 33  1-कठिन शंकर चाप कैसे तौडत है ,  सुन्दर कोमल गात ये दोनो भाई है  2-जनक राजा ने यज्ञ रचो है ,  सीता स्वयंवर होय कैसे - तोडत हैं ।  3 - देश ही देश के भू पति आये ,  शिव धनु तोड़न आये कैसे - तोड़त हैं  4 - तिल भर चाप उठे ना भू से ,  राजा सब सरमाय कैसे - तोड़त हैं  5 मुनिवर वेश में राम लछिमन ,  जनक राजा घर आये कैसे - तोड़त हैं ।  6-कर पकड़त शिव चाप उठाये ,  तोड़ धनुष को गिराय - कैसे  7-श्यामल गौर किशोर को देखा ,  सीता जी माला छ जाय कैसे - तोड़त हैं 8-सीता स्वयंवर राम से कीन्हा ,  घर में मंगल सजाय कैसे तोडत है । सुन्दर कोमल गात ये दो भाई है ।

होली नं0 - 32 (अचल मेरो छोड़ श्याम , तेरी । गऊ चली वृन्दावन को)

होली नं0 - 32 1 - अचल मेरो छोड़ श्याम ,  तेरी । गऊ चली वृन्दावन को   2 - ना हम लावै लौग सुपारी ,  ना पर भत की सौठ - श्याम 3- हम जो लाती दही की मटिया , दान काहे को होय श्याम - तेरी 4- दान दही को दान मही को ,  दान जो मन को होय श्याम - तेरी  5- तोड़ कन्हया वडू को पचा ,  दहिया देहू चखाय श्याम - तेरी  6 - दही तुम्हारो खट्टो मीठो  छाँस भई अमल्लाय - तेरी 7 - मारू मुटको तोडू मटकी ,  दही देऊ विखराय श्याम - तेरी  8- दही मैरो खायो मटकी फोडी , छास दीयो विखराय श्याम - तेरी  9-गऊ चली वृन्दावन को - अचल मेरी  छोड़ श्याम तेरी गऊ चली वृन्दावन को ।